meri kavita

ये मेरा पहला पोस्ट है और मैं इसकी शुरआत अपनी एक कविता से करना चाहती हूँ।

कविता का शीर्षक है माँ

रोशनी से चमकते  हुए सूरज से
           मैंने पुछा
 क्या दोगे मुझे कुछ रोशनी
          उसने अहंकार से कहा
जाओ पहले
            रोशनी लायक तो बन जाओ।
मैंने पुछा कौन होता है रोशनी लायक
वह बादशाह जिसे रोशनी दान में मिलती है।
या वह शिक्षक जो रोशनी निर्मित करता है,
या वह माँ जिसमे स्वयं रोशनी होती है,
मैंने सोचा मुझे नहीं बनाना प्रशिक्षिक   
मैं  तो वह माँ की रोशनी महसूस करना चाहूंगी
जिसमे जीवन है
        आशा है ,प्रकाश है ,
       प्राण है ,रूप है,
       जो स्वरुप देती है प्रकाश को
       जिसकी रोशनी से अदभुत हो जाता है
       संसार का यह प्रभामंडल।
  

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